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मंगलवार, 7 जनवरी 2014

जब हाथी का नम्बर आया - रामकुमार गुप्त

बाल कविता : रामकुमार गुप्त

कूँ कूँ कूँ पिल्ले ने गाया, 
चूँ चूँ चूहे के मन भाया.
हारमोनियम को बन्दर ने,
मस्ती में हो खूब बजाया.
भालू की बंशी पर लोमड़ 
गाते तनिक नही शरमाया.
नाचा मोर भोर होने तक,
ऐसा अपना रंग जमाया.
कोयल रानी थी संचालक,
जब हाथी का नम्बर आया.
झूम चला वह जैसे चढ़ने ,
 टूटा  मंच, गिरा-चिल्लाया.

रामकुमार गुप्त

जन्म : 30.12.1944, भिनगा श्रावस्ती
शिक्षा : एम. ए.(अर्थ शास्त्र, समाज शास्त्र, हिन्दी); बी.टी. 
प्रकाशन : बाल साहित्य के क्षेत्र मेँ लम्बे समय से सक्रिय. प्रमुख पत्र-पत्रिकाओ/संकलनों मे सैकड़ों रचनाएं प्रकाशित. 
कार्य क्षेत्र : पूर्व प्रवक्ता, कृषक समाज इंर कालेज, गोला गोकर्णनाथ, खीरी 
 सम्पर्क : निक मंगलादेवी मन्दिर,

 गोला गोकर्णनाथ, खीरी
262802 (उ. प्र.) 
मो. न. 093070 32899
सभी चित्र गूगल सर्च से साभार