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मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

पता नहीं



बाल गीत : अरविंद राज
कहाँ छोड़कर चली गयी , 
मुझे रजाई ? पता नहीं .
इतनी जल्दी मुर्गे ने क्यों 
बांग लगायी , पता नहीं !


क्या है यह गड़बड़ घोटाला ?
कहाँ गया सब कोहरा - पाला !
किसने डाल दिया है भैया
हवा सुहानी के घर ताला ?
कैसे घट गयी रातों की
इतनी लंबाई ,पता नहीं .


चलो कहीं ठंडे में भाई ,
सूरज ने तो आग लगाई .
बूंद पसीने की भैया तो ,
चल माथे से नाक पे आई .
देह निगोड़ी , भरी दुपहरी
क्यूँ अलसाई , पता नहीं 
अरविंद राज
जन्म : मार्च1972 , बदायूं 
शिक्षा ; एम्. एस-सी . 
प्रतिष्ठित बाल पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित . 
वृहद ग्रंथ बचपन एक समंदर में रचनाएँ संकलित .
 बच्चों के लिए आकर्षक पुस्तकें तैयार करने में सिद्ध हस्त .
 संपर्क : कमल-कुंज, अनामिका डिज़ायनर्स एंड प्रिंटर्स,
हुसैनपुरा, बड़ी बिसरात रोड, शाहजहाँपुर (उ.प्र.) 

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