बाल कविता :द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी अटकन -बटकन , दही चटोकन बाबा लाए टाफी , एक टाफी टूटी , मुनिया बिटिया रूठी . अटकन -बटकन , दही चटोकन बाबा लाए बरफी , एक बरफी टूटी , मुनिया बिटिया रूठी . अटकन -बटकन , दही चटोकन बाबा लाए गुड़िया , एक गुड़िया टूटी , मुनिया बिटिया रूठी . टाफी तो बहुतेरी , बरफी तो बहुतेरी , गुड़िया भी बहुतेरी . फिर क्यों मुनिया रूठी ? रूठी झूठी -मूठी . द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जन्म : 1दिसंबर ,1916 ,आगरा बाल गीतायन उनकी प्रसिद्द कृति है , जिसमे पहली बार बच्चों के लिए सर्वाधिक बाल कविताएँ प्रकाशित हुयीं . निधन : 29 अगस्त , 1998 , आगरा में . रचना संपर्क : डा. विनोद माहेश्वरी , a- 46, आलोक नगर , आगरा |
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रविवार, 1 मई 2011
अटकन -बटकन
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बहुत बढ़िया कविता का चयन किया है!
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता चुनी है नागेश। खेल-खेल में बच्चों के होंठों पर चढ़ जाने वाली। और बिना खुद बच्चा बने ऐसी कविताएँ कोई लिख कैसे सकता है। बच्चों के लिए लिखने वाले हम सब साहित्यिकों का यह सौभाग्य है कि हमारे बीच कभी इतने बड़े और ऊँचे कद का कवि था। कभी माहेश्वरी जी के इकट्ठे भी कुछ गीत एक साथ दे सकते हैं। फिर प्रस्तुति तो तुम्हारी इतनी सुंदर है कि क्या कहें। कोई आश्चर्य नहीं कि जल्दी ही तुम्हारा बालमंदिर सही में हिंदी बाल साहित्य का एक प्रतिनिधि मंच बन जाए। इसे बनना ही चाहिए। बस एक ही खयाल रखना कि कविताएँ जो भी दो, एकदम चुनिंदा हों--एकदम मोती की तरह दूर से अपनी आभा बिखेरती हुईं। और तब इस खूबसूरत चयन का बड़ी दूर तक असर पड़ेगा। अलबत्ता इस समय तो बधाई माहेश्वरी जी की यह सुंदर कविता पढ़वाने के लिए। सस्नेह, तु. मनु
जवाब देंहटाएंआदरणीय भाई साहब मनु जी , आपके सटीक प्रोत्साहन एवं मार्ग दर्शन के लिए आभारी हूँ . आपके निर्देश को ध्यान रखते हुए ''बाल साहित्य के देवता'' / 'बाल साहित्य के दिग्गज' और 'हमारे सम्मानित रचनाकार' स्तम्भ भी प्रारंभ कर दिए हैं . विरासत स्तम्भ को अब धरोहर नाम से प्रस्तुत करूँगा . पुन : हार्दिक आभार सहित , नागेश
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