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मंगलवार, 26 जून 2012

शताक्षी की बाल रचना : माँ !

बाल रचना : शताक्षी 
माँ ! मुझे लगती हो प्यारी.
इस जग में सबसे हो न्यारी .
लोरी गाकर  मुझे सुलाती,
मेरे दिल को तुम हो भाती.

नित्य नए  पकवान बनाती, 
माँ ! मुझे लगती हो प्यारी.
जब मैं होती बहुत दुखी,
आप मेरा सहारा बनती.
और अपने प्यार से मुझको,
कितना खुश कर देती हो.
बहन भाई की डांट से बचाती,
माँ ! मुझे लगती हो प्यारी.
बिन आपके अधूरी हूँ मैं.
बिन आपके अकेली हूँ मैं.
बिन माँ के जैसे ,
कोरा कागज हूँ मैं.
आपके बिना कुछ भी नहीं हूँ मैं.
माँ आप हो सबसे प्यारी.
इस जग में हो सबसे न्यारी. 

शताक्षी 

कक्षा - 8  

सुपुत्री : डा. सुमन शर्मा, डा. नेहा शर्मा
एस-2, 69, ग्रीन पार्क,
बरेली 
चित्र गूगल सर्च से साभार 

7 टिप्‍पणियां:

  1. सशक्त और सार्थक प्रस्तुति!
    शताक्षी को शुभाशीष!

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टिप्पणी के लिए अग्रिम आभार . बाल-मंदिर के लिए आपके सुझावों/ मार्गदर्शन का भी सादर स्वागत है .