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बुधवार, 9 मार्च 2011

बात समझ न आई



किशोर कविता  
कृष्ण कुमार मिश्र  'अचूक ' 

शेर सिंह ने गधेराम को 
झुककर किया प्रणाम .
गधेराम जी तन कर बोले - 
बेटा आयुषमान   . 
बकरी देख रही थी ये सब , 
मन ही मन चकराई . 
शेर गधे की करे खुशामत , 
बात समझ न आई .
 बोला तब खरगोश -बहन ये 
सर्विस का चक्कर है . 
शेर पढ़ा , पर खाली , 
गदहा   रोजगार अफसर है . 
[] [] [] 
कृष्ण कुमार मिश्र  'अचूक '
जन्म ; 5 जुलाई , 1939 .पीलीभीत 
बच्चों के लिए बहुत रोचक पहेलियाँ , कविताएँ एवं कहानियां  लिखीं .
प्रकाशित पुस्तक : अक्षर ज्ञान 
निधन :21 फरवरी 2010

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