किशोर कविता कृष्ण कुमार मिश्र 'अचूक ' शेर सिंह ने गधेराम को झुककर किया प्रणाम . गधेराम जी तन कर बोले - बेटा आयुषमान . बकरी देख रही थी ये सब , मन ही मन चकराई . शेर गधे की करे खुशामत , बात समझ न आई . बोला तब खरगोश -बहन ये सर्विस का चक्कर है . शेर पढ़ा , पर खाली , |
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बुधवार, 9 मार्च 2011
बात समझ न आई
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बहुत अच्छी और सच्ची कविता ...आभार
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