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रविवार, 26 दिसंबर 2010

जाड़ा आया

बाल रचना  
सृष्टि पांडेय
जाड़ा आया , जाड़ा आया  
जाड़े में निकली रजाई 
ओढ़े बैठे चीकू भाई 
जब भी पापा छेना लाते
जल्दी से जुट जाते हो 
छेना ख़त्म हुआ नहीं की 
रजाई में घुस जाते हो 
टीचर जब चिल्लाती हैं 
भाग निकलते हो शु शु , 
टीचर ने जब थप्पड़ मारा 
करने लगते हो ऊँ ऊँ . 

2 टिप्‍पणियां:

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