बाल कविता : डा. महेंद्र भटनागर
पानी बरसे झम -झम -झम .
आगे-आगे
गर्मी भागे
हँस-हँस गाने गाएँ हम .
पानी बरसे झम -झम -झम .
मेढक बोलें
पंछी डोलें
बादल गरजें जैसे बम .
पानी बरसे झम -झम -झम .
नाव चलाएँ
खूब नहाएँ .
आओ कूदें धम्मक -धम .
पानी बरसे झम -झम -झम .
डॉ. महेंद्र भटनागर
जन्म : 26/06/1926, ननसार, झाँसी (उ.प्र.)
बाल-किशोर साहित्य- हँस-हँस गाने गाएँ हम!, बच्चों के रूपक, देश-देश की बातें, जय-यात्रा, दादी की कहानियाँ, महेंद्रभटनागर-समग्र (विविध खंड 6)
सम्मान : ग्वालियर साहित्य अकादमी द्वारा अलंकरण-सम्मान-2004, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ने साहित्य वाचस्पति- 201
सम्पर्क सूत्र : सर्जना भवन 110, बलवन्तनगर, गांधी रोड, ग्वालियर-474 002 (म.प्र.)09893409793
निधन : 27 अप्रैल, 2020
जन्म : 26/06/1926, ननसार, झाँसी (उ.प्र.)
बाल-किशोर साहित्य- हँस-हँस गाने गाएँ हम!, बच्चों के रूपक, देश-देश की बातें, जय-यात्रा, दादी की कहानियाँ, महेंद्रभटनागर-समग्र (विविध खंड 6)
सम्मान : ग्वालियर साहित्य अकादमी द्वारा अलंकरण-सम्मान-2004, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ने साहित्य वाचस्पति- 201
सम्पर्क सूत्र : सर्जना भवन 110, बलवन्तनगर, गांधी रोड, ग्वालियर-474 002 (म.प्र.)09893409793
निधन : 27 अप्रैल, 2020
बारिश के मौसम में मन को भिगोती सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुदर रचना।
जवाब देंहटाएंबधाई।
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कम्प्यूटर से तेज़!
इस दर्द की दवा क्या है....