शिशुगीत : रमापति शुक्ल
हे भगवान , एक है विनती ,
मुझे याद हो जाए गिनती .
कल ही इसे सुनाना होगा ,
या फिर डंडा खाना होगा .
बार-बार रटता-दुहराता .
डर से मगर भूलता जाता .
अगर मुझे दिलवा दो माफ़ी,
तो भर पेट खिलाऊं टाफी .
रमापति शुक्ल
जन्म : १९११ , गोरखपुर
शिक्षा : एम्. ए.(हिंदी' अर्थ शास्त्र ) ; बी. टी.
प्रकाशित कृतियाँ :
अंगूरों का गुच्छा , हुआ सवेरा , शैशव , राष्ट्र के बापू , मुन्नी की दुनियां , बच्चों के भाव गीत
आप काशी विद्यापीठ , काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शिक्षा संकाय के अध्यक्ष थे . हिंदी में बाल साहित्य पर सबसे पहले (१९५२ में )शोध कार्य ज्योत्स्ना दिवेदी का 'हिंदी किशोर साहित्य ' आपके ही निर्देशन में हुआ
सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंमजेदार कविता
जवाब देंहटाएंटॉफियों जैसा मीठा गीत....
जवाब देंहटाएंसरल भाषा में शिशुगीत.
जवाब देंहटाएंडॉक्टर जयजयराम आनन्द