बाल कविता : चक्रधर नलिन
मेरे सोने के कमरे में ,
मकड़ी क्यों जाले बुनती हो ?
मेरी माँ कमरे में आकर ,
देंगी तेरे जाले तोड़ .
बड़ी ख़ुशी से बना रही घर,
अपने मुंह से धागे जोड़ .
अपनी धुन के आगे तुम क्यों
मेरी बात नहीं सुनती हो !
क्या तुम देख रही हो मेरे
होठों की प्यारी मुस्काने ?
तुम्हें पता क्या हम सब अपनी
धुन के हैं कितने दीवाने ?
अपने जाले मिट जाने पर
क्यों तुम अपना सिर धुनती हो ?
चक्रधर नलिन
जन्म :19 जुलाई ,1939 ,अतौरा , रायबरेली
शिक्षा : एम. ए. (अंग्रेजी ),एल-एल.बी.
छः दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित.
संपर्क :254, चंद्रलोक ,अलीगंज, लखनऊ
अच्छी कविता!!!
जवाब देंहटाएंकित्ता प्यारा गीत..बधाई !!
जवाब देंहटाएंachchhi kavita
जवाब देंहटाएंhttp://vandana-nanhepakhi.blogspot.com/