आओ बच्चों- आओ बच्चों
मैं हूँ सेंटा क्लाज ।
खेल खिलौने तरह- तरह के ,
तुम्हे मिलेंगे आज ।
छुक- छुक करती रेल चाहिए
या फिर मोटर गाड़ी ।
परियों वाली गुडिया लोगे,
या फिर प्लेन सवारी ।
जो चाहोगे वो पाओगे,
बहुत लगा है ढेर ।
मन चाहा हर गिफ्ट मिलेगा,
नही लगेगी देर ।
आज करो मनमानी कर लो,
जी भर कर शैतानी ।
नही रुकावट कोई होगी,
काहे की हैरानी ।
बच्चों का प्यारा बचपन ही
है प्रभु की पहचान ।
मैं हूँ सेंटा क्लाज चाहता
बनो नेक इन्सान ।
राहुल अवस्थी 'शाहजहाँपुरी'
इंदिरा नगर
शाहजहांपुर 242001
(उ. प्र.)
मोबाईल न. 094152 48945
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यह राहुल की पहली बाल कविता है।
वाह अति सुन्दर। पहली कविता ही इतनी बढ़िया। साधुवाद।
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