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सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

सूर्य कुमार पांडेय की बाल कविताएँ

पेटूमल
लड्डू-पेड़ा  रसगुल्ला .
मचा रहे हल्ला-गुल्ला . 
पेटूमल  की पड़ी नजर . 
गए सभी मुंह के अंदर .
अगड़म-बगड़म
अगड़म-बगड़म-बम,
खेलें कूदें हम . 
अगड़म-बगड़म ठा   ,
बछड़ा बोला-बां.
अगड़म-बगड़म कुर्र, 
चिड़िया उड़ गयी फुर्र.
घडी 
दस बजकर दस मिनट हुआ जब , बैठी मूंछे  ऐठ    . 
आठ बीस हैं , घडी झुकाकर , मूंछ गयी है बैठ.
होली


होली पर मुश्किल के
मौके आते ऐसे,
सोच रहा खरगोश 
ऊँट के गले मिले कैसे 






 चित्र: गूगल सर्च 

सूर्य कुमार पांडेय

 जन्म :10 अक्तूबर , 1954 , बलिया 
शिक्षा : एम्-एस. सी.
 बाल कविता की रचना में अद्भुत प्रयोगों के लिए चर्चित .
कई पुस्तकें प्रकाशित . 
 संपर्क : 538 k/514, त्रिवेणी नगर द्वितीय , लखनऊ 

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