चित्र में : आयुष
किशोर कविता : डा. राष्ट्रबंधु
चलो अखाड़े ,पेलो दंड .
वीर मांग सकता है न्याय ,
वीर मिटा सकता अन्याय .
युग- युग का है यही उपाय ,
यही शांति का मंत्र अखंड .
चलो अखाड़े , पेलो दंड .
धनुष- बाण रखते हैं राम ,
चक्र सुदर्शन रखते श्याम ,
माँ काली हैं रौरव रूप ,
महावीर की गदा अनूप .
सभी देव हैं संड- मुसंड .
चलो अखाड़े , पेलो दंड .
डा. राष्ट्रबंधु जी
हिंदी के प्रख्यात बाल साहित्यकार हैं.
हिंदी के प्रख्यात बाल साहित्यकार हैं.
''बाल साहित्य समीक्षा'' मासिक के संपादक .
संपर्क : 109/309 , राम कृष्ण नगर , कानपुर - 208012 .
मोबाइल : 99568 06411
सुन्दर वाल कविता!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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