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रविवार, 23 जनवरी 2011

चलो अखाड़े

चित्र में : आयुष  

किशोर कविता : डा. राष्ट्रबंधु 

चलो अखाड़े  ,पेलो दंड .
वीर मांग सकता है न्याय , 
वीर मिटा सकता अन्याय . 
युग- युग का है यही उपाय , 
यही शांति का मंत्र अखंड .
चलो अखाड़े ,  पेलो दंड .

धनुष- बाण रखते हैं राम , 
चक्र सुदर्शन रखते श्याम , 
माँ काली हैं रौरव रूप , 
महावीर की गदा अनूप . 
सभी देव हैं संड- मुसंड .
चलो अखाड़े , पेलो दंड . 



 डा. राष्ट्रबंधु जी  
हिंदी के प्रख्यात बाल साहित्यकार हैं
''बाल साहित्य समीक्षा'' मासिक के संपादक .
संपर्क : 109/309 , राम कृष्ण नगर , कानपुर - 208012 . 
मोबाइल : 99568 06411

2 टिप्‍पणियां:

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