बाल कविता :डा. दिविक रमेश
चित्र में : सृष्टि
माँ -बापू जब कूटा करते ,
हाथों में जब छाले पड़ते ,
जी करता बनकर दस्ताने ,
उनके हाथों पर चढ़ जाऊं,
छालों से मैं उन्हें बचाऊं .
गोदी में उनकी चढ़ जाऊं.

हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि हैं .
बाल कविताओं को लेकर उनके प्रयोग अद्भुत हैं .
बच्चों के लिए कई पुस्तकें प्रकाशित और पुरस्कृत .
जन्म : 1946, गांव किराड़ी, दिल्ली।
शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), पी-एच.डी. (दिल्ली विश्वविद्यालय)
सम्प्रति : प्राचार्य, मोतीलाल नेहरू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
प्रकाशित बाल-साहित्य: 'जोकर मुझे बना दो जी', 'हंसे जानवर हो हो हो', 'कबूतरों की रेल', 'छतरी से गपशप', 'अगर खेलता हाथी होली', 'तस्वीर और मुन्ना', 'मधुर गीत भाग 3 और 4', 'अगर पेड़ भी चलते होते', 'खुशी लौटाते हैं त्यौहार', 'मेघ हंसेंगे ज़ोर-ज़ोर से' (चुनी हुई बाल कविताएँ, चयनः प्रकाश मनु)। 'धूर्त साधु और किसान', 'सबसे बड़ा दानी', 'शेर की पीठ पर', 'बादलों के दरवाजे', 'घमण्ड की हार', 'ओह पापा', 'बोलती डिबिया', 'ज्ञान परी', 'सच्चा दोस्त', (कहानियां)। 'और पेड़ गूंगे हो गए', (विश्व की लोककथाएँ), 'फूल भी और फल भी' (लेखकों से संबद्ध साक्षात् आत्मीय संस्मरण)। 'कोरियाई बाल कविताएं'। 'कोरियाई लोक कथाएं'। 'कोरियाई कथाएँ',
'और पेड़ गूंगे हो गए', 'सच्चा दोस्त' (लोक कथाएं)।
अन्य : 'बल्लू हाथी का बाल घर' (बाल-नाटक)
संपर्क : बी-295, सेक्टर-20, नोएडा-201301 (यू.पी.), भारत।
फोनः $91-120-4216586
ई-मेल: divik_ramesh@yahoo.com
बहुत बढ़िया कविता!
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद।
हटाएंdhanyavaad
जवाब देंहटाएंकविता तो अच्छी है मगर बच्चों की सोच क्या ऐसी होगी!
जवाब देंहटाएंकविता पढ़कर ईदगाह के हामिद वाली कहानी याद आ गयी . बड़े- बूढों का दर्द भी तो कोई सोचे - समझे . धन्यवाद दिविक जी को . .
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद
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