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बताओ तो जानें
रामेश्वर दयाल दुबे
[1]
मुँह खोले ही लेटे रहते ,
मुँह भर जाता तो चल देते .
चलते-चलते सेवा करते ,
पैसा एक नहीं हैं लेते ?
[2]
बड़ा अनोखा ,
तीन हाथ हैं ,
बिना पैर के
नाचा करता ?
[3]
खाना खाती नहीं
सिर्फ पीती हूँ पानी .
पेट बड़ा , मुंह छोटा
मेरी यही कहानी ?
उत्तर : १.जूते २.शीलिंग फैन ३.सुराही
रामेश्वर दयाल दुबे ( जन्म:१ जुलाई , १९०९;मैनपुरी )
हिंदी के सबसे वयोवृद्ध बाल साहित्यकार
नहीं रहे .
हिंदी के सबसे वयोवृद्ध बाल साहित्यकार
नहीं रहे .
२४ जनवरी को वे गोलोक वासी हो गए .
हिंदी के अनन्य सेवक और गाँधीवादी थे .
हिंदी के अनन्य सेवक और गाँधीवादी थे .
बाल भारती , गुलदस्ता , भारत के लाल ,
माँ यह कौन ,आलू चना ,
चले चलो
आदि
उनके प्रमुख बाल कविता संग्रह हैं .
उनकी ये पहेलियाँ सितम्बर १९९५ में
मेरे अतिथि संपादन में प्रकाशित
माँ यह कौन ,आलू चना ,
चले चलो
आदि
उनके प्रमुख बाल कविता संग्रह हैं .
उनकी ये पहेलियाँ सितम्बर १९९५ में
मेरे अतिथि संपादन में प्रकाशित
' जिन्दगी अख़बार होकर रह गयी '{प्रधान संपादक : गौरी शंकर मिश्र }
के
बाल साहित्य विशेषांक
में
प्रकाशित हुईं थीं .
बाल-मंदिर की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्दांजलि .
मेरी श्रद्धांजलि
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