मिस्टर मच्छर रात-रात भर , गाना गाते भन-भन-भन. उनका गाना बड़ा सुहाना , लेकिन उनसे डरते हम . कभी नाक में , कभी कान में , वह चुटकी ले लेते हैं . मच्छरदानी में घुस कर हम , उनको चकमा देते हैं . वह बाहर से झूम-झूम कर सा रे गा मा गाते हैं . हम अंदर लेटे - लेटे ही , मुक्का उन्हें दिखाते हैं . जन्म : १ सितम्बर , १९२५ , कानपुर शिक्षा : एम्. ए. (हिंदी ), एल-एल. बी . ५० से अधिक पुस्तकें प्रकाशित निधन : २६ जून ,२००० |
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सोमवार, 9 मई 2011
मिस्टर मच्छर - चन्द्रपाल सिंह यादव ' मयंक '
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बढ़िया कविता!
जवाब देंहटाएंमिस्टर मच्छर.... बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमिस्टर मच्छर रात-रात भर ,
जवाब देंहटाएंगाना गाते भन-भन-भन.
बहुत सुन्दर
सुन्दर कविता....
जवाब देंहटाएंsunder kavita. natkhatpan se bhari hui.vakai, achchhi kavita chuni tumne nagesh. pahle padhi hui thi. per dobara padhakar aur sukh mila.
जवाब देंहटाएंphi prastuti tumhari bahut sunder hai.manmohak.
sasneh, p manu
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंa good poem indeed
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