बाल कविता : मानवती आर्या
दादी अम्मा दाँत तुम्हारे
बाहर क्यों आ जाते हैं ?
पापा-मम्मी अपने दाँतो
को न अलग कर पाते हैं .
क्यों निकालती रोज सवेरे ,
दाँतो को मुँह से बाहर ?
ब्रश करना क्या नहीं जानती ,
धोती हो बाहर लाकर .
बिना दाँत के ओंठ तुम्हारे ,
अंदर को घुस जाते हैं .
बिना दाँत जब कुछ कहती हो ,
समझ नहीं हम पाते हैं .
मानवती आर्या जी
का जन्म ३० अक्तूबर , १९२० को
म्यामा ( बर्मा ) के मैक्टिला नगर में हुआ .
शिक्षा : एम्. ए. (अंग्रेजी , बी. टी. ) ,
आजाद हिंद फ़ौज में रहीं .
.बाल दर्शन मासिक का संपादन किया
दादी अम्मा मुझे बताओ उनकी बाल कविताओं का चर्चित संग्रह है .
संपर्क ; ११७/१११, एम्. काका देव , कानपुर .
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