बाल कविता :राम निरंजन शर्मा ठिमाऊं गुरुवर तुम्हें प्रणाम ! ठीक समय पर शाला आते , सत्य बोलना हमें सिखाते . मीठी-मीठी कविता गाते , चाहा कब विश्राम . नए अनूठे पाठ पढ़ाते , हमको सुन्दर लेख लिखाते . नयी-नयी बातें बतलाते. कभी न चाहा नाम . तुमने जीना हमें सिखाया , अंधकार को दूर भगाया. और ज्ञान का दीप जलाया , जाने जगत तमाम . राम निरंजन शर्मा ठिमाऊं . जन्म : 6 ,जून 1928 शिक्षा : एम् . ए. (संस्कृत , अंग्रेजी ), बी. एड. पिलानी ,राजस्थान में रहते थे .गत दिनों निधन हो गया . |
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गुरुवार, 14 जुलाई 2011
गुरुवर तुम्हें प्रणाम -राम निरंजन शर्मा ठिमाऊं
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गुरुवर तुम्हें प्रणाम ! सुन्दर बाल कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल गीत..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएंमेरे विद्यार्थी जीवन (पिलानी) १९५९-१९६३
जवाब देंहटाएंमें अत्यधिक स्नेह प्रदान करने वाले गुरु श्री राम निरंजन शर्मा 'ठिमाऊं' जी को शत शत नमन !