बाल-मंदिर परिवार
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गुरुवार, 17 मार्च 2011
शनिवार, 12 मार्च 2011
लैपटाप
बाल कविता : आकांक्षा यादव
पापा मेरे लैपटाप लाए
लैपटाप जी दिल को भाए
खेल खिलाए , ज्ञान बढ़ाए
लैपटाप जी दिल को भाए
खेल खिलाए , ज्ञान बढ़ाए
नई-नई ये बात बताए
‘की बोर्ड‘ से हो गई यारी
‘माउस‘ की अब करुं सवारी
‘मानीटर‘ पर सब है दिखता
‘मानीटर‘ पर सब है दिखता
कितना प्यारा है यह रिश्ता।
‘सी0पी0यू0‘ है इसका ब्रेन
टी0वी0 इसके आगे फेल
गाने सुनो,जी मूवी देखो
सी0डी0 लगाकर खेलो खेल।
टी0वी0 इसके आगे फेल
गाने सुनो,जी मूवी देखो
सी0डी0 लगाकर खेलो खेल।
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आकांक्षा यादव
जन्म -30 जुलाई 1982, सैदपुर, गाजीपुर (उ0 प्र0)
शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत) ,सम्प्रति- कॉलेज में प्रवक्ता।
लेखन-विधा- कविता, लेख, बाल कविताएं व लघु कथा।
प्रकाशन-देश-विदेश की शताधिक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, स्तरीय संकलनों व इण्टरनेट पर रचनाओं का अनवरत प्रकाशन।
http://balduniya.blogspot.com (बाल-दुनिया)
सम्पर्क- द्वारा - श्री कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवा, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, पोर्टब्लेयर-744101
ई-मेलः kk_akanksha@yahoo.com
चित्र में पाखी
बुधवार, 9 मार्च 2011
बात समझ न आई
किशोर कविता कृष्ण कुमार मिश्र 'अचूक ' शेर सिंह ने गधेराम को झुककर किया प्रणाम . गधेराम जी तन कर बोले - बेटा आयुषमान . बकरी देख रही थी ये सब , मन ही मन चकराई . शेर गधे की करे खुशामत , बात समझ न आई . बोला तब खरगोश -बहन ये सर्विस का चक्कर है . शेर पढ़ा , पर खाली , |
सोमवार, 7 मार्च 2011
अपना पंथ स्वयं ही गढ़ना
बाल कविता :राम सिंह दोषी
बच्चों शिक्षा बहुत जरुरी ,
चाहे कितनी हो मज़बूरी .
ध्यान लगाकर पढो हमेशा ,
कभी न हो पढने से दूरी .
शिक्षा कभी न मिट सकती है ,
शिक्षा कभी न घट सकती है
राजा हो या चोर मगर यह ,
नहीं किसी से बँट सकती है .
बच्चों सदा परिश्रम से ही ,
अपना पंथ स्वयं ही गढ़ना .
शिक्षा के बल पर जीवन में ,
नित उन्नत चोटी पर चढ़ना .
[] [] []
राम सिंह दोषी
जन्म :5 जुलाई ,1944 , जलालाबाद
सहायक पोस्टमास्टर पद से सेवा निवृत्त
संपर्क : सुभाष नगर , शाहजहांपुर
शनिवार, 5 मार्च 2011
चित्रगीत
चित्रगीत : विनोद चंद्र पांडेय 'विनोद '
मम्मी जी
सबसे अच्छी , सबसे प्यारी ,
मम्मी जी दुनिया में न्यारी .
प्यार बहुत वह मुझको करती ,
मेरे मन में खुशियाँ भरती .
[] [] []
मेरी किताब
मेरी किताब , मेरी किताब .
इसमें गिनती , इसमें हिसाब .
हैं अक्षर , कविता , कथा , चित्र ,
सबसे बढ़कर है यही मित्र .
[] [] []
मेरी कक्षा
मेरी कक्षा , मेरी कक्षा
गुरुवार, 3 मार्च 2011
चलो आज तो मेले में
बाल गीत : कृष्ण शलभ
चित्र में : आदित्य अपने नाना के साथ
नाना जी के साथ चलेंगे , चलो आज तो मेले में .
नाना जी के साथ आज सब
बच्चे मेले जायेंगे .
मेले में जी , सारे बच्चे
चाट- पकौड़ी खायेंगे .
तुम भी चलना साथ करोगे क्या तुम बैठ अकेले में ?
हाँ, हर साल खिलौने वाला
आता शम्भू गेट पर .
वहां खिलौने मिल जाते हैं ,
भैया सस्ते रेट पर .
इक-दो लेंगे , हमें कौन से भर कर लाने ठेले में .
कृष्ण शलभ
जन्म :18 जुलाई 1945 , नकुड ,सहारनपुर.
बालगीत संग्रह : टिली लिली जहर , ओ मेरी मछली ,
सूरज की चिट्ठी , बचपन एक समंदर (सम्पादित )
संपर्क ; नया आवास विकास , सहारनपुर
बुधवार, 2 मार्च 2011
कैसे होते हैं दिन- रात ?
बाल कविता : अजय गुप्त
आओ बच्चों तुम्हें बताएं ,
कैसे होते हैं दिन- रात ?
देखो , सुनो हमारी बात ;
मुह पर मले गुलाल सरीखा ,
या कि टमाटर लाल सरीखा .
मुस्काती हरियाली वाला
सोने सी उजियाली वाला
कीलों पर नाचती गेंद-सा
जो हिस्सा अपनी धरती का ,
सूरज के सम्मुख होता हैं ,
उसमें होता दिन या प्रात
कैसे होते हैं दिन रात ?
अक्सर श्वेत मलाई-सा ,
काला , काली माई-सा .
हँसते चंदा-तारों का ,
शरमाए उजियारों का .
कीली पर नाचती गेंद-सा ,
जो हिस्सा अपनी धरती का ,
सूरज के पीछे होता है .
वही कहा जाता है रात .
बोलो बच्चों समझ गए न ,
कैसे होते हैं दिन- रात ?
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अजय गुप्त
जन्म : 6 सितम्बर, 1951 , शाहजहांपुर
प्रकाशित बालकविता संग्रह :
कैसे होते हैं दिन- रात ?,जंगल में मोबाइल
प्रवर्तक/संयोजक : प्रभा स्मृति बाल साहित्य पुरस्कार
संपर्क : सचिव , गाँधी पुस्तकालय ,चौक , शाहजहांपुर (उ.प्र.)
Mob. 096210 88824
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