मूंछें नत्थूलाल की ,
सचमुच बड़े कमाल की .
पुलिसमैन भी हार गया ,
डाकू भी झख मार गया .
एक इंच से पिछड़ गईं बस ,
मूंछें खास दलाल की .
उन्हें तेल में रोज भिगोते ,
खूब एंठते , खूब सँजोते .
शान देखते ही बनती -
उनकी फौलादी चाल की .
नत्थू को न सताएँ मच्छर ,
मूंछों में फंस जाएँ मच्छर .
बड़े मजे से सो जाते वे ,
चिंता नहीं बबाल की .
चाहें दूध-मलाई खाएँ ,
या फिर रोटी दाल पचाएँ .
नत्थू की मूंछें रखती हैं
खबर पेट के हाल की .
हम सबकी ऐसी हों मूंछें ,
नत्थू की जैसी हों मूंछें .
हम राणा प्रताप के वंशज ,
शोभा भारत भाल की .
जन्म :1 दिसंबर ,1949 :अटवा अली मर्दनपुर , हरदोई
बच्चों के लिए बहुत ही रोचक
कहानियां , उपन्यास और कविताएँ प्रकाशित . बाल गजलें भी खूब लिखीं .
चुने हुए बाल गीत , चुनी हुयी बाल कहानियां , चुने हुए बाल एकांकी उनके संपादन में प्रकाशित महत्वपूर्ण संकलन हैं .
संपर्क : निकट बाबन चुंगी , हरदोई
चित्र गूगल खोज से साभार
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंपढ़कर आनन्द आया!
मजेदार कविता। पढवाने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं---------
कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत किसे है?
ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।
मूँछें तो दोनों की ही बढ़िया हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल गीत।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल गीत...मजा आगया
जवाब देंहटाएंइस कविता पर फेस बुक पर साकेत अस्थाना की टिप्पणी
जवाब देंहटाएंSaket Asthana June 6 at 6:20am Report
This is really a nice piece of work. I really respect you Nagesh bhai for your efforts to develop such a good platform for Bal Shahiytya. Thanks . Do you have any plan to translate these original works in English? If yes, it would be nice to provide such a wonderful literature to kids all over the world. Thanks ................Saket