बाल कविता : डा. शकुन्तला कालरा
मेरी अम्मा सबसे अच्छी ,
हम सबको वह करतीं प्यार .
डूबी रहती सदा काम में ,
खुश रहता सारा परिवार .
बड़े सवेरे उठ जाती हैं ,
निबटाती सब घर के काम .
कपडे -लत्ते -झाड़ू -पोंछा
लेती कब थकने का नाम ?
पूजा करके हमें जगातीं ,
सो जाते हम बारम्बार .
हम सब हँसते कैसी अम्मा
याद न रहता क्यों इतवार ?
माँ क्या जाने छुट्टी होती,
क्यों भाता हमको इतवार !
सूरज जैसी मेरी अम्मा ,
काम करें वह सातों वार .
झोली भर-भर प्यार बाँटतीं ,
जी भर करतीं लाड़-दुलार .
नन्हें-मन को खूब समझतीं ,
प्रभु का वह सुंदर उपहार .
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जन्म : 11 सितम्बर ,1946 , बक्खर , पाकिस्तान
प्रमुख पुस्तकें : बाल साहित्य का स्वरुप और रचना संसार , बाल साहित्य के युग निर्माता : जय प्रकाश भारती , हिंदी बाल साहित्य विमर्श सहित दर्जनों पुस्तकों की सर्जना की .
सम्प्रति : रीडर , दिल्ली विश्व विद्यालय
संपर्क : एन. डी.-57, पीतमपुरा , दिल्ली-88
बहुत सुन्दर बाल गीत...माँ सच में ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार है.
जवाब देंहटाएंवाकई मां-पिता ईश्वर का नायाब तोहफा है....धरती पर हमारे भगवान....
जवाब देंहटाएंमाँ पर बहुत सुन्दर बाल गीत...
जवाब देंहटाएंमाँ पर बहुत सुन्दर गीत.....
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