बाल कविता :रमेश चन्द्र पंत
खुली लाटरी
गधेराम की ,
वह भी एक करोड़ .
भूल गए हैं
गुणा-भाग सब
और घटना-जोड़ .
फूट रहे
मन ही मन लड्डू
जाएँगे अब फ़्रांस .
नए ज़माने
के सीखेंगे
फिर पेरिस में डांस .
ढेंचू-ढेंचू
भूल नए अब
पढने होंगे पाठ .
मुक्ति मिलेगी
बोझे से भी
गजब के होंगे ठाठ .
नए-नए
माडल की होगी
महँगी कारें पास .
और नहीं
अब खानी होगी
उन्हें कभी भी घास .
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जन्म : १० अगस्त , बलरामपुर (उ.प्र.)
शिक्षा : एम्.ए. (हिंदी अंग्रेजी );बी.एस-सी .; बी. एड.
प्रकाशित पुस्तकें : 101 बाल कविताएँ ,बाल मन की प्रतिनिधि कहानियाँ
राजकीय पालीटेक्निक द्वाराहाट में सेवारत .
संपर्क : विद्यापुर , द्वाराहाट , अल्मोड़ा
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंबालमन्दिर के
जवाब देंहटाएंसभी सम्मानित रचनाकारों को प्रणाम!
बहुत बढिया।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
2 दिन में अखबारों में 3 पोस्टें...
बहुत प्यारी और मजेदार कविता...
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