बाल-मंदिर परिवार
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गुरुवार, 6 दिसंबर 2012
शिशुगीत : बस्ता सस्ता - सृष्टि पांडेय
गुरुवार, 22 नवंबर 2012
मधुसूदन साहा की बाल कविता : मुर्गा मामा
बाल कविता : मधुसूदन साहा
चित्र : ज्योति कश्यप
चित्र : ज्योति कश्यप
मुर्गा मामा, मुर्गा मामा,
क्यों तुम बांग लगाते हो ?
जब आती है नींद जोर से,
आकर मुझे जगाते हो।
तुमको नींद न आती है,
निंदिया नहीं सताती है।
पौ फटने से पहले ही,
अपना बिगुल बजाते हो।
कलगी मुझको भाती है,
लाली मुझे लुभाती है।
क्या इसको दमकाने को,
पहली किरण लगाते हो ?

मधुसूदन साहा
जन्म : 15 जुलाई 1940 , धमसई, गोड्डा, झारखण्ड
शिक्षा एम. ए., पी-एच. डी.
कई पुस्तकें प्रकाशित
संपर्क : डी 90
कोयल नगर, राउरकेला- 769014
शनिवार, 10 नवंबर 2012
मुबीना खान की बाल कविता : कुछ ऐसा हो जाए.....
कुछ ऐसा हो जाए ओ जी
कुछ ऐसा हो जाए
धरती अंबर चन्दा सूरज
खेलें आँख मिचौली
धूप चाँदनी वर्षा बादल
जमकर करें ठिठोली
चन्दा आए धरती पर फिर..
यहीं कहीं खो जाए.
कुछ ऐसा हो जाए ओ जी
कुछ ऐसा हो जाए
चन्दा की बुढ़िया से भी तो
करनी हैं कुछ बातें
ठिठुर-ठिठुर कर ठंडक में
कैसे कटती हैं रातें
हम काते उसका चरखा
बुढ़िया रानी सो जाए.
कुछ ऐसा हो जाए ओ जी
कुछ ऐसा हो जाए.
ठंडा ठंडा होता चन्दा
उसको हम गर्मी दें
गर्मी में जब बहे पसीना
हम उससे ठंडक लें
फिर काहे की सर्दी गर्मी
ये आए वो जाए.
कुछ ऐसा हो जाए ओ जी
कुछ ऐसा हो जाए
मुबीना खान,
प्रवक्ता बी. एड. विभाग,
लखीमपुर खीरी यू.पी.
मंगलवार, 26 जून 2012
शताक्षी की बाल रचना : माँ !
माँ ! मुझे लगती हो प्यारी.
इस जग में सबसे हो न्यारी .
लोरी गाकर मुझे सुलाती,
मेरे दिल को तुम हो भाती.
मेरे दिल को तुम हो भाती.
नित्य नए पकवान बनाती,
माँ ! मुझे लगती हो प्यारी.
जब मैं होती बहुत दुखी,
आप मेरा सहारा बनती.
और अपने प्यार से मुझको,
कितना खुश कर देती हो.
बहन भाई की डांट से बचाती,
माँ ! मुझे लगती हो प्यारी.
बिन आपके अधूरी हूँ मैं.
बिन आपके अकेली हूँ मैं.
बिन माँ के जैसे ,
कोरा कागज हूँ मैं.
आपके बिना कुछ भी नहीं हूँ मैं.
माँ आप हो सबसे प्यारी.
इस जग में हो सबसे न्यारी.
शताक्षी
कक्षा - 8
सुपुत्री : डा. सुमन शर्मा, डा. नेहा शर्मा
एस-2, 69, ग्रीन पार्क,
बरेली
चित्र गूगल सर्च से साभार मंगलवार, 15 मई 2012
चिड़िया आई - जय प्रकाश मिश्र प्रकाश
जय प्रकाश मिश्र प्रकाश
चूँ चूँ करती चिड़िया आई,
चोंच में अपने दाना लाई.
बच्चों ने मुँह को फैलाया,
चिड़िया रानी के मन भाया.
मुँह में उनके दाना डाला,
दाने का था स्वाद निराला.
चुकुर चुकुर कर दाना खाते,
प्रेम से रहते चूँ चूँ गाते.
जय प्रकाश मिश्र प्रकाश
प्रकाशित पुस्तक : बाल गीतिका
पटेल रोड, ओ सी एफ शाहजहांपुर
नन्हा चित्रकार निमिष
लेबल:
जय प्रकाश मिश्र प्रकाश,
बाल कविता
रविवार, 6 मई 2012
डा. भैरूंलाल गर्ग का बाल गीत : रेल चली
बाल गीत : डा. भैरूंलाल गर्ग
रेल चली भई रेल चली,सीटी देकर रेल चली।
कोई चलती है बिजली से,कोई पीकर तेल चली।
पूरब से पश्चिम जाए,उत्तर से दक्षिण आए।
देशवासियों का आपस में,है करवाती मेल चली।
जब स्टेशन आता है,हर कोई घबराता है।
चढ़ती और उतरती सवारी,एक-दूजे को ठेल चली।
थककर कभी न सुस्ताती,रात-दिवस चलती जाती।
पुल, सुरंग, बीहड़ जंगल में,अजब दिखाती खेल चली।
शीत-घाम की कठिन घड़ी,या वर्षा की लगी झड़ी।
धुंध, कोहरा, आँधी, अंधड़,हर संकट को झेल चली।
रेल चली क्या देश चला,सफर सभी को लगे भला।
सूत्र एकता में बाँधे यह,नफरत दूर धकेल चली।
रेल चली भई रेल चली,सीटी देकर रेल चली।
डा. भैरूंलाल गर्ग
जन्म : १ जनवरी, १९४९
शिक्षा : एम. ए., पी-एच. डी.
प्रकाशित पुस्तकें ; बाल कहानी संग्रह : अनोखा पुरस्कार, उपकार का फल,सच्चा उपहार
संपर्क :
संपादक " बाल वाटिका" नन्द भवन,
कावाखेडा पार्क,
भीलवाड़ा (राजस्थान)
रेल-चित्र : साभार गूगल गुरुवार, 19 अप्रैल 2012
बाल कविता: पुलू-लुलू_डा. मुनि लाल उपाध्याय 'सरस'
बाल कविता : डा. मुनि लाल उपाध्याय 'सरस'
छोटा मुन्ना
पुलू-लुलू.
मत कर मत कर
छुलू-लुलू.
मम्मी ने क्या
पीट दिया है ?
मत कर आंसू
ढुलू-ढुलू.
छोटा मुन्ना
पुलू-लुलू.
मत कर मत कर
छुलू-लुलू.
डा. मुनि लाल उपाध्याय 'सरस'
जन्म : 10अप्रैल,1942, बस्ती
लगभग 4 दर्जन पुस्तकें प्रकाशित. 'बाल त्रिशूल' विधा का प्रवर्तन किया. बाल पत्रिका 'बालसेतु' का संपादन-प्रकाशन किया
1 अप्रैल,2012 को उनका देहांत हो गया.
बुधवार, 8 फ़रवरी 2012
राम कुमार मिश्र 'मधुकर' की बाल कविता :
चंदा मामा सबके मामा
चंदा मामा सबके मामा ,
बाबा हो या पोता .
सारी रात यात्रा करते ,
जब जग होता सोता .
सबको दूध मलाई देते ,
कितनी उनके घर है ?
बाबा कहते उनके घर तो
अमृत का सागर है.
राम कुमार मिश्र ' मधुकर '
भक्ति साहित्य के समर्पित कवि
जन्म : ५ जनवरी, १९३६ ,अहिरवाडा, बीसलपुर, पीलीभीत
१७ पुस्तकें प्रकाशित.
बच्चों के लिए कविताओं का निरंतर प्रकाशन
एक पुस्तक बालगीत कुञ्ज प्रकाशित
मनीषिका कोलकाता , नागरी बाल साहित्य संस्थान , बलिया, बाल प्रहरी , अल्मोड़ा इत्यादि अनेक संस्थाओं से सम्मानित
संपर्क : ललित प्रकाशन, खलील शर्की, शाहजहांपुर (उ.प्र.)
रविवार, 5 फ़रवरी 2012
देशबंधु शाहजहांपुरी की बालकविता
बुधवार, 4 जनवरी 2012
सुशील ‘सरित’ का बाल गीत :
हमको अपनी नानी की कहानी चाहिए
बाल गीत : सुशील ‘सरित’
मीठा-मीठा नारियल का पानी चाहिए,
खेलने को परियों की रानी चाहिए.
आप करते रहिए परमाणु परीक्षण,
हमको अपनी नानी की कहानी चाहिए.
वैज्ञानिक अंकल जी करते नए परीक्षण,
रखिए कभी तो हम सब बच्चों का भी मन.
चाकलेट देने वाले पेड़ चाहिए,
चाँद तक एक रोड जानी चाहिए.
लिखो-लिखो-लिखो मंत्री ताऊ जी को खत,
पार्क में हमारे कभी लगे न टिकट.
रेट आइसक्रीम के हैं इतने बढ़े क्यों?
होनी नहीं ऐसी मनमानी चाहिए.
कंप्यूटर जी-कंप्यूटर जी, कुछ तो बोलिए,
पढ़ने-लिखने का नया रस्ता खोलिए.
बस्ते उठाते-उठाते कंधे दुखते,
आपकी की थोड़ी सी मेहरबानी चाहिए.
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