बाल कविता - प्रत्यूष गुलेरी
नन्हा मुन्ना छैल छबीला
ड्रेस पहन कर नीला पीला
एक हाथ में पकड़ कर फूल
चला मैं पढ़ने आज स्कूल
अपने घर् का राजदुलारा
मां की आंखों का हूँ तारा
संगी साथी मुझे बुलाएँ
मिलकर हम बैलून फुलाएँ
डोर बांध के खूब उड़ाएँ
हो! हो!हा !हा!दौड़ लगाएँ
बडे जोर से शोर मचाएँ
भागेँ देखो दाएं बाएँ
घँटी बजी प्रेयर करेंगे
हम बच्चे न कभी लड़ेंगे
जितना होगा खूब पढ़ेगे
खूब पढ़ेगे खूब बढ़ेगे.
खूब पढ़ेगे खूब बढ़ेगे.