माँ ! मुझे लगती हो प्यारी.
इस जग में सबसे हो न्यारी .
लोरी गाकर मुझे सुलाती,
मेरे दिल को तुम हो भाती.
मेरे दिल को तुम हो भाती.
नित्य नए पकवान बनाती,
माँ ! मुझे लगती हो प्यारी.
जब मैं होती बहुत दुखी,
आप मेरा सहारा बनती.
और अपने प्यार से मुझको,
कितना खुश कर देती हो.
बहन भाई की डांट से बचाती,
माँ ! मुझे लगती हो प्यारी.
बिन आपके अधूरी हूँ मैं.
बिन आपके अकेली हूँ मैं.
बिन माँ के जैसे ,
कोरा कागज हूँ मैं.
आपके बिना कुछ भी नहीं हूँ मैं.
माँ आप हो सबसे प्यारी.
इस जग में हो सबसे न्यारी.
शताक्षी
कक्षा - 8
सुपुत्री : डा. सुमन शर्मा, डा. नेहा शर्मा
एस-2, 69, ग्रीन पार्क,
बरेली
चित्र गूगल सर्च से साभार