दही बड़े . दौड़े आओ मत शरमाओ , खाओ भाई खड़े-खड़े . स्वाद मिलगा कहीं न ऐसा चखकर देखो , फेको पैसा बड़ी चटपटी हंसी हमारी , खट्टे -मीठे हैं नखरे डंका हमने खूब बजाया, अजब अनोखा रंग जमाया ठेले पर हैं खड़े हुए लाला ,बाबू बड़े -बड़े . दही बड़े हम दही बड़े . जन्म: 12 मई ,1950 .शिकोहाबाद शिक्षा : एम्. एस-सी., एम्. ए.( हिंदी), पी-एच . डी. हिंदी बाल कविता का इतिहास ग्रंथ के अतिरिक्त बच्चों के लिए ढेरों पुस्तकें प्रकाशित . संपर्क : 545 ,सेक्टर 29. फरीदाबाद चित्र गूगल सर्च से साभार |
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गुरुवार, 28 अप्रैल 2011
दही बड़े
शनिवार, 16 अप्रैल 2011
निरंकारदेव सेवक का शिशुगीत : लाल टमाटर
शिशुगीत : निरंकारदेव सेवक
लाल टमाटर-लाल टमाटर ,
मैं तो तुमको खाऊंगा ,
रुक जाओ , मैं थोड़े दिन में
और बड़ा हो जाऊंगा .
लाल टमाटर-लाल टमाटर ,
मुझको भूख लगी भारी ,
भूख लगी है तो तुम खा लो -
ये गाजर मूली सारी .
लाल टमाटर-लाल टमाटर ,
मुझको तो तुम भाते हो .
जो तुमको भाता है भैया ,
उसको क्यों खा जाते हो ?
लाल टमाटर-लाल टमाटर ,
अच्छा तुम्हें न खाऊंगा .
मगर तोड़कर डाली पर से
अपने घर ले जाऊंगा .
जन्म ; १९ जनवरी ,१९१९
शिक्षा : एम्. ए. ,बी. टी . , एल-एल. बी.
बाल साहित्य में शोध के प्रवर्तक .
बालगीत साहित्य (१९६६ ) उनका चर्चित ग्रन्थ है .
बच्चों के लिए बहुत रोचक कहानियां, कविताएँ लिखी .
दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित .
निधन : २९ अक्तूबर ,१९९४
संपर्क : पूनम सेवक , १८५ ,सिविल लाइन , बरेली
लेबल:
धरोहर,
निरंकारदेव सेवक,
शिशुगीत
मंगलवार, 12 अप्रैल 2011
पता नहीं
बाल गीत : अरविंद राज कहाँ छोड़कर चली गयी , मुझे रजाई ? पता नहीं . इतनी जल्दी मुर्गे ने क्यों बांग लगायी , पता नहीं ! क्या है यह गड़बड़ घोटाला ? कहाँ गया सब कोहरा - पाला ! किसने डाल दिया है भैया हवा सुहानी के घर ताला ? कैसे घट गयी रातों की इतनी लंबाई ,पता नहीं . चलो कहीं ठंडे में भाई , सूरज ने तो आग लगाई . बूंद पसीने की भैया तो , चल माथे से नाक पे आई . देह निगोड़ी , भरी दुपहरी क्यूँ अलसाई , पता नहीं अरविंद राज जन्म : 5 मार्च1972 , बदायूं शिक्षा ; एम्. एस-सी . प्रतिष्ठित बाल पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित . वृहद ग्रंथ बचपन एक समंदर में रचनाएँ संकलित . बच्चों के लिए आकर्षक पुस्तकें तैयार करने में सिद्ध हस्त . संपर्क : कमल-कुंज, अनामिका डिज़ायनर्स एंड प्रिंटर्स, हुसैनपुरा, बड़ी बिसरात रोड, शाहजहाँपुर (उ.प्र.) |
सोमवार, 11 अप्रैल 2011
बोलो जी बोलो ?
सींके से बर्फी चुरायी किसने , बोलो जी बोलो ? चींटों ने चढ़कर तो खायी न होगी ! चूहों की जीभ पहुँच पाई न होगी . पाँच किलो बर्फी दबाई किसने ? बोलो जी बोलो ? रेनू है सोयी अभी राजू भी सोया . बुल्लू है , बबलू है नींद में खोया . चादर में हँसी बिखराई किसने ? बोलो जी बोलो ? राम वचन सिंह 'आनंद' जन्म : 15 दिसंबर , 1932 ; आरा (बिहार) बच्चों के प्रसिद्द साहित्यकार कहानी और कविताओं की कई पुस्तकें प्रकाशित हुयीं . निधन : चक्रधरपुर में . |
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धरोहर,
बाल गीत,
राम वचन सिंह 'आनंद'
रविवार, 3 अप्रैल 2011
हाथी चल्लम- चल्लम (बालगीत): डा. श्रीप्रसाद
बालगीत : डा. श्रीप्रसाद हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम हम बैठे हाथी पर, हाथी हल्लम हल्लम लंबी लंबी सूँड़ फटाफट फट्टर फट्टर लंबे लंबे दाँत खटाखट खट्टर खट्टर भारी भारी मूँड़ मटकता झम्मम झम्मम हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम पर्वत जैसी देह थुलथुली थल्लल थल्लल हालर हालर देह हिले जब हाथी चल्लल खंभे जैसे पाँव धपाधप पड़ते धम्मम हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम हाथी जैसी नहीं सवारी अग्गड़ बग्गड़ पीलवान पुच्छन बैठा है बाँधे पग्गड़ बैठे बच्चे बीस सभी हम डग्गम डग्गम हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम दिनभर घूमेंगे हाथी पर हल्लर हल्लर हाथी दादा जरा नाच दो थल्लर थल्लर अरे नहीं हम गिर जाएँगे घम्मम घम्मम हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम डा. श्रीप्रसाद जन्म ; 5 जनवरी ,1932 .आगरा का पारना ग्राम शिक्षा : एम्. ए. , पी-एच. डी. बाल साहित्य बच्चों के लिए बहुत रोचक कहानियां, कविताएँ एवं पहेलियाँ लिखी . दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित . संपर्क : n-9/87,d-77,ब्रज भूमि ,जानकी नगर , बजरडीहा , वाराणसी चित्र साभार : गूगल सर्च
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