बाल कविता: डा. विनय कुमार मालवीय रुखा-सूखा खाती फिर भी , अमृत जैसा दूध पिलाती . अपने सहज गुणों के कारण , जग में पूजनीय बन जाती . इसके बछड़े मेहनत करते , खेतों में हैं फसल उगाते . सदा कर्म ही फल देता है , जग को सुंदर पाठ पढाते . डा. विनय कुमार मालवीय जी जन्म : १६ अक्तूबर , १९५० , प्रकाशित पुस्तकें : बाल कहानी संग्रह : ईमानदार ,सोनू की लापरवाही , सच्चा दोस्त , टामी की वफ़ादारी , पढाई का महत्त्व , सहस का परिचय , शिक्षाप्रद कहानियां बाल कविता संग्रह : देश पर कुर्वान हैं बाल जीवनीसंग्रह ; लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक , गोपाल कृष्ण गोखले संपर्क ; ६९३/६०५ , मालवीय नगर ,इलाहाबाद चित्र साभार ; गूगल सर्च |
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रविवार, 13 फ़रवरी 2011
गाय
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बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल गीत!
जवाब देंहटाएंअच्छा-उपदेशात्मक!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंvery intertaining and beautiful.
जवाब देंहटाएंshikha malviya