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रविवार, 13 फ़रवरी 2011

गाय







बाल कविता: डा. विनय कुमार मालवीय


रुखा-सूखा खाती फिर भी ,
अमृत जैसा दूध पिलाती .
अपने सहज गुणों के कारण ,
जग में पूजनीय बन जाती .
इसके बछड़े मेहनत करते ,
खेतों में हैं फसल उगाते .
सदा कर्म ही फल देता है ,
जग को सुंदर पाठ पढाते .
डा. विनय कुमार मालवीय जी
जन्म : १६ अक्तूबर , १९५० ,
प्रकाशित पुस्तकें :
बाल कहानी संग्रह :
ईमानदार ,सोनू की लापरवाही , सच्चा दोस्त ,
टामी की वफ़ादारी , पढाई का महत्त्व , सहस का परिचय , शिक्षाप्रद कहानियां
बाल कविता संग्रह :
देश पर कुर्वान हैं
बाल जीवनीसंग्रह ;
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक , गोपाल कृष्ण गोखले
संपर्क ; ६९३/६०५ , मालवीय नगर ,इलाहाबाद

चित्र साभार ; गूगल सर्च


 

5 टिप्‍पणियां:

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