चिड़िया बोली -
‘‘चूं, चूं, चूं;
रोज सुबह
अखबार पढ़ूँ।’’
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बिल्ली बोली-
‘‘म्याऊँ, म्याऊँ;
मन करता है
टाफी खाऊँ।’’
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चूहा बोला-
‘‘चीं, चीं, चीं;
तबियत ढीली
बिल्ली की।’’
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बंदर बोला-
‘‘खों, खों, खों;
भूख लगी
खाने को दो।’’
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तोता बोला-
‘टें, टें, टें;
सूरज निकला
मत लेटें।’’
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कुत्ता बोला-
‘‘भौं, भौं, भौं;
चोर नहीं डरता
अब क्यों ?’’
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गदहा बोला-
‘‘ढेचूं, ढेचूं;
बेमतलब -
सपने क्यों देखूं ?’’
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कौआ बोला-
‘‘काँव, काँव;
शहर से अच्छा
अपना गाँव।’’
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सियार बोला-
‘‘हुआ, हुआ;
बुआ न देती
माल पुआ।’’
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चक्रधर शुक्ल जी
बच्चों के सुपरिचित कवि हैं .
जन्म : 18 जनवरी १९५७ को
खजुहा, जिला फतेहपुर (उ0प्र0) में .
शिक्षा : एम0ए0 ( अर्थ शास्त्र), बी0एस0सी0
दैनिक जागरण, सरिता, नई गुदगुदी, धर्मयुग, बालहंस, नवभारत, पंजाब केसरी,
अमर उजाला, चकमक, लोटपोट, रंग चकल्लस, राजस्थान पत्रिका आदि
अनेक पत्र-पत्रिकाओं तथा संपादित संकलनों में
लगभग 1000 रचनाएं प्रकाशित।
सम्पर्क : सिंगल स्टोरी, एल0आई0जी0-1, बर्रा-6,
कानपुर-208027 (उ0प्र0)
मो0 - 9455511337, 0512-2283416
अति सुन्दर रचना।आदरणीय चक्रधर शुक्ल जी को हार्दिक बधाई।संपादक महोदय का हार्दिक आभार ऐसी रचनाओं से हम सब को रू-ब -रू करवाने के लिए।
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