शिशुगीत : बाल कृष्ण गर्ग
मेढक बोले टर्र ,
बर्राती है बर्र .
जूता बोले चर्र ,
मोटर चलती घर्र .
मम्मी सोतीं खर्र ,
पापा जाते डर्र .
चिड़िया उडती फुर्र ,
कानाबाती कुर्र .
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नाकाबाती छींसर्दी में थर -थर ,
गर्मी में लू-लू.
तुम करते हा-हा ,
हम करते हू-हू.
मीठा-मीठा गप,
कड़वा-कड़वा थू.
नाकाबाती छीं,
कानाबाती कू .
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सबसे अच्छी नानी
दूध न पीता गुड्डा ,
हुआ तभी तो बुड्ढा .
खाती दाल न रोटी ,
फिर भी गुड़िया मोटी .
दिन भर नटखट भैया ,
करता धम्मक -धय्या .
कपडा इतना मँहगा ,
बहना मांगे लंहगा .
चिढ़ जाते जब चाचा ,
मारे मुझे तमाचा .
पापा करते गड़बड़ ,
मम्मी करतीं बडबड .
खों-खों खाँसे दादी ,
तम्बाकू की आदी .
सबसे अच्छी नानी ,
कहती रोज कहानी .
जन्म : १५ मई , १९४३ , हाथरस
प्रकाशित कृतियाँ : रोचक शिशु गीत रोचक बालगीत , आटे बाते दही चटाके
आपके संपादन संगीत मासिक का बाल संगीत अंक (१९८१) साहित्य जगत में विशेष चर्चित .
संपर्क : ६४७, मुरसान गली , हाथरस
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जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
प्यारी माँ की गोद में!
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सुंदर शिशुगीत है, खुद ब खुद होंठों पर चढ़ जाने वाला। पर एक साथ तीन-चार शिशुगीत आप बालक़ष्ण गर्ग जी के दे सकते थे। फोटो भी कोई अच्छा हासिल नहीं हो सकता क्या। सस्नेह, प्र.म.
जवाब देंहटाएंआदरणीय भाई साहब मनु जी , शिशु गीत तीन कर दिए हैं . फोटो तलाश रहा हूँ . सुझाव के लिए आभार - धन्यवाद .
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