रामू को जुकाम ने पकड़ा ,
फ़ौरन खटिया पकड़ी .
नाक देख कर डाक्टर बोला -
''फीस लगेगी तगड़ी .''
बैग खोल कर डाक्टर ने फिर ,
चाकू एक निकाला .
''नाक काटनी होगी बेटा ,
यह क्या झंझट पाला ?''
खटिया से छलाँग लगाई ,
खाक उड़ी न धूल .
पंख लगा कर रामू पहुँचा ,
पल भर में स्कूल .
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आनंद प्रकाश जैन जी
हिंदी के महान बाल साहित्यकार एवं संपादक थे .
'पराग' मासिक को उन्होंने लोकप्रियता के शिखर तक पहुँचाया. बच्चों के लिए बहुत ही रोचक
कहानियां , उपन्यास और कविताएँ लिखी .
आनंदप्रकाश जैन को पढ़कर बहुत अच्छा लगा नागेश। वे सचमुच बहुत बड़े कद के शख्स थे, जिन्होंने बाल साहित्य के लिए अपना जीवन लगाया। पर दुर्भाग्य से उन्हें भुला दिया गया। उनकी रचनाएँ बहुत खोजने के बाद भी बड़ी कठिनाई से मिल पाती हैं। मुझे बहुत खुशी है कि वे बालमंदिर में प्रतिष्ठित हैं। ईश्वर तुम्हें लंबी उम्र दे नागेश और इसी तरह के उम्दा काम करते रहो, जिनकी इस समय बेहद-बेहद जरूरत है। मेरी फिर से बधाई। सस्नेह, प्र.म.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाई साहब .
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंमजेदार व सार्थक शिशु गीत....
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