बाल-मंदिर परिवार

हमारे सम्मान्य समर्थक

बुधवार, 1 जून 2011

एक पहेली मैं कहूँ - अमीर खुसरो




पहेलियाँ : अमीर खुसरो
(1)
एक थाल मोती से भरा , 
सबके सर पर औंधा धरा .
(2)
एक पहेली मैं कहूँ 
सुन ले मेरे पूत .
बाँध गले में उड़ गयी
सौ गज लम्बा सूत .
(3)
बीसों का सर काट लिया , 
ना मारा ना/खून किया 


उत्तर - देखने के लिए टिप्पणी पर क्लिक करें . 

3 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  2. .
    नमस्ते, अंकल!
    कुछ देर पहले पापा ने मुझे ये पहेलियाँ पढ़वाईं!
    तीसरी का उत्तर तो तुरंत आ गया,
    पर कुछ देर सोचने के बाद
    बाकी दोनों के उत्तर भी समझ में आ गए!
    उत्तर इस प्रकार हैं -

    (१) : रात का आसमान

    (२) : उड़ती हुई पतंग

    (३) : नाखून
    .

    जवाब देंहटाएं
  3. पहले बाल कवि का मुद्दा बहुत पुराना है , हिंदी बाल साहित्य के आदि समीक्षक निरंकार देव सेवक जी इस विषय पर अपने ग्रन्थ ''बाल गीत साहित्य'' (प्रकाशन वर्ष - 1966, प्रकाशक - किताब महल , इलाहाबाद ) में विस्तार से लिख चुके हैं
    मैंने भी इस विषय पर अपनी समीक्षा कृति ''बाल साहित्य के प्रतिमान'' में चर्चा की है . (प्रकाशक - बुनियादी साहित्य प्रकाशन ,रामकृष्ण पार्क , अमीनाबाद , लखनऊ , मो. नं. -९४१५००४२१२ ).

    ग्रन्थ (''बाल साहित्य के आयाम'' , -डा.धर्मपाल , आलोक पर्व प्रकाशन , दिल्ली ) में पहला बाल कवि नाथूराम शर्मा शंकर को माना गया है .

    ... फ़िलहाल एकदम शुरुआत से देखें और आदिकाल के कवि अमीर खुसरो की इन पहेलियों को याद करें
    तो क्या यह खड़ी बोली के निकट बाल मन की सरल और श्रेष्ठ रचनाएँ नहीं हैं ? .. और इससे हमारे हिंदी बाल साहित्य की अवधि भी दीर्घकालीन सिध्द होती है .

    हिंदी साहित्य में आज अमीर खुसरो को खड़ी बोली के प्रवर्तक / उन्नायक के रूप में मान्यता प्राप्त है . हमें भी साधिकार और बड़े ही गौरव के साथ उन्हें पहले बाल कवि के रूप में स्वीकार करना चाहिए .

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणी के लिए अग्रिम आभार . बाल-मंदिर के लिए आपके सुझावों/ मार्गदर्शन का भी सादर स्वागत है .