बाल कविता : हरिवंशराय बच्चन चिडिया ओ चिड़िया कहाँ है तेरा घर ? उड़-उड़ आती है जहाँ से फर-फर ? उड़-उड़ जाती है जहाँ को फर-फर ? इमली के एक बड़े भारी पेड़ पर , घास-फूस-तिनकों से बना मेरा घर . उड़-उड़ आती हूँवहाँ से फर-फर ? उड़-उड़ जाती हूँ वहाँ को फर-फर ? ============= |
चित्र गूगल सर्च से साभार
कविता बाल -मंडली के लिये बहुत उपयुक्त है ।
जवाब देंहटाएंसुधा भार्गव
प्यारी सी है चिड़िया की कविता .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
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हॉट मॉडल केली ब्रुक...
नदी : एक चिंतन यात्रा।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!.....
जवाब देंहटाएंइमली के एक
जवाब देंहटाएंबड़े भारी पेड़ पर ,
घास-फूस-तिनकों से
बना मेरा घर .
उड़-उड़ आती हूँ
वहाँ से फर-फर ?
उड़-उड़ जाती हूँ
वहाँ को फर-फर ?...बहुत सुन्दर पंक्तियां है...इतने महान कवि की कविता पढ़वाने के लिये धन्यवाद....
वाह..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बाल कविता है जी,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंbohoot accha kavita
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