बाल गीत : डा. सुरेन्द्र विक्रम
हो गयी मुश्किल पढाई , क्या करें ,
पुस्तकों की बाढ़ आई , क्या करें ?
हो गयी मुश्किल पढाई , क्या करें ,
पुस्तकों की बाढ़ आई , क्या करें ?
क्या मजे थे , नर्सरी-के.जी. के दिन ,
उन दिनों की याद आई क्या करें ?
खेलने जाते थे बस्ता फेंककर ,
सोचकर आती रुलाई , क्या करें ?
कल हुआ था टेस्ट , दस में दो मिले ,
हो रही है जग हँसाई ,क्या करें ?
क्यों मिले हैं अंक इतने कम , कहो ,
पूछते हैं ताऊ- ताई , क्या करें ?
हर विषय रटना है चाहें जो भी हो ,
कुछ नहीं देता सुझाई , क्या करें ?
अब परीक्षा से ही डर लगने लगा है ,
अकल भी लगती पराई, क्या करें ?
नींद कोसो दूर है , आँखे खुलीं ,
पुतलियों में धुंध छाई , क्या करें ?
किसको छोड़े , क्या पढ़ें चिंता है ये ,
हिंदी के सशक्त एवं सक्रिय बाल साहित्यकार तथा समीक्षक
जन्म :1 जनवरी , बरोखर , इलाहबाद
शिक्षा : एम्.ए(हिंदी) ; पी-एच. डी.
बाल साहित्य आलोचना की चार पुस्तकों सहित बच्चों के लिए कई पुस्तकें प्रकाशित .
संपर्क : सी -1245, राजाजीपुरम , लखनऊ
चित्र साभार : गूगल सर्च
लाज़वाब बाल गीत...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत....
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! इस कविता की तो अलग ही रवानगी है . बधाई हो
जवाब देंहटाएंनिश्चय ही यह बहुत ही मजेदार और बाल मन की सच्ची रचना है .
जवाब देंहटाएंमैं यह देख कर अत्यंत आह्लादित हूँ कि डा. सुरेन्द्र विक्रम जी की यह कविता बहुत ही पसंद की जा रही है . फेस बुक पर भी कई मित्रों की टिप्पणियाँ आईं हैं और 7 मित्रों ने इसे पसंद किया है . .
बाल-मंदिर: क्या करें ?-डा. सुरेन्द्र विक्रम
baal-mandir.blogspot.com
बच्चों के लिए और उन सबके लिए भी, जो बच्चों से प्यार करते हैं.
Yesterday at 10:21am · Like · · Share
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Arvind Shukla well said sirji......
21 hours ago · Like
Adarsh Pandey wah kya bat hai
19 hours ago · Like
Rajeev Singh Apne to purani mgr khubsurt ydo k bhnwr me dhkel diya.acchi lgi
19 hours ago · Like
प्रशंसनीय है आपका प्रयास।
जवाब देंहटाएं------
हर किसी के वास्ते संवादघर का दर...।
नैतिकता के ढ़ांचे की धज्जियां उड़ाती परिकल्पना...
बहुत - बहुत धन्यवाद ...जाकिर भाई .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत,बधाई.......
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रभुदयाल
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंगीत को पढ़कर खूब आनंद आया!
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