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मंगलवार, 9 अगस्त 2011

हे भगवन , एक है विनती ( शिशुगीत ) : रमापति शुक्ल


  शिशुगीत : रमापति शुक्ल 

हे  भगवान , एक है विनती ,
मुझे याद हो जाए गिनती .

कल ही इसे सुनाना होगा ,

या  फिर डंडा खाना होगा .
बार-बार रटता-दुहराता .
डर से मगर  भूलता जाता .
अगर मुझे दिलवा दो माफ़ी, 
तो भर पेट खिलाऊं टाफी .
 रमापति शुक्ल 
जन्म : १९११ , गोरखपुर
शिक्षा : एम्. ए.(हिंदी' अर्थ शास्त्र ) ; बी. टी.
प्रकाशित कृतियाँ :
 अंगूरों का गुच्छा , हुआ सवेरा , शैशव , राष्ट्र के बापू , मुन्नी की दुनियां , बच्चों के भाव गीत 
आप काशी विद्यापीठ , काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शिक्षा संकाय के अध्यक्ष थे . 
हिंदी में बाल साहित्य पर सबसे  पहले (१९५२ में )शोध कार्य ज्योत्स्ना दिवेदी का 'हिंदी किशोर साहित्य ' आपके ही निर्देशन में हुआ 

4 टिप्‍पणियां:

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