सलोनी रूपम् की कविता एक बच्चा, किसका बच्चा ? सोचो ... ... . मंकी का बच्चा. बच्चे ने अपुन को देखा. अपुन ने बच्चे को देखा. तभी कूदते-उछलते हुए उसके डैडी आ गए, पीछे से उसकी मम्मी पूरी फ़ौज लेकर कूद पड़ीं. कोई इधर गया, कोई उधर गया, कोई ऊपर गया, कोई नीचे गया. फिर ... ... . धीरे - धीरे पूरी फ़ौज किचन के अंदर. कच्चा खाया, पक्का खाया, कप भी तोडा, प्याली भी तोड़ी. मैं विंडो के अंदर से झाँक रही थी. तभी ... ... . मुझे कुछ याद आया, मैंने अपनी गन उठाई. छः राउंड निकले - ठायँ-ठायँ-ठायँ-ठायँ-ठायँ-ठायँ. फिर ... ... . पूरी फ़ौज नौ दो ग्यारह. मुझे इस बहादुरी का पुरस्कार मिलना चाहिए. नौ वर्षीया सलोनी रूपम केंद्रीय विद्यालय, शाहजहाँपुर में कक्षा ४ में पढ़ती है. |
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सोमवार, 24 जनवरी 2011
पूरी फ़ौज किचन के अंदर
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baal sulabh man ke hao - bhao .
जवाब देंहटाएंकितने ... ... . बंदर थे?
जवाब देंहटाएंवाह ! क्या खूब सामना किया फ़ौज से . बहादुर बेटी को पुरस्कार तो मिलना ही चाहिए . il.com
जवाब देंहटाएंहाँ हाँ बिलकुल मिलना चाहिए पुरस्कार तो "ब्रेव गर्ल" को ...
जवाब देंहटाएंvery very good poem
जवाब देंहटाएंbahut sundar
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