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सोमवार, 28 नवंबर 2011

कविवर तोंदूराम ( बाल गीत) -डा. हरिकृष्ण देवसरे

 बाल गीत - डा. हरिकृष्ण देवसरे 
कविवर तोंदूराम बुदक्कड़ कभी-कभी आ जाते हैं.

खड़ी निरंतर रहती चोटी, 
आँखें धंसी मिचमिची छोटी,
नाक चायदानी की टोटी,
अंग-अंग की छटा निराली,भारी तोंद हिलाते हैं. 
कविवर तोंदूराम बुदक्कड़ कभी-कभी आ जाते हैं.

कंधे पर लाठी बेचारी,
लटका उसमें पोथा भारी,
लिए हाँथ में सुंघनी प्यारी,
सूंघ-सूंघकर 'आ छीं-आ छीं' का आनंद उठाते हैं. 
कविवर तोंदूराम बुदक्कड़ कभी-कभी आ जाते हैं.

ये हैं नियमी धर्म-धुरंधर,
गायक गुपचुप भांड उजागर,
परम स्वतंत्र न नौकर चाकर.
झूम-झूम कर मटक-मटककर हलुआ पूरी खाते हैं.
कविवर तोंदूराम बुदक्कड़ कभी-कभी आ जाते हैं.

कविता का बांध जाता ताँता,
चप्पल का विवाह ठन जाता,
जूता दूल्हा बनकर आता.
बिल्ली रानी पिस्सू राजा की भी जोड़ मिलते हैं. 
कविवर तोंदूराम बुदक्कड़ कभी-कभी आ जाते हैं.
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हिंदी बाल साहित्य के प्रथम पी-एच्. डी. : डा. हरिकृष्ण देवसरे 
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जन्म : 3 मार्च , 1940, नागोद, सतना, म.प्र.
शिक्षा : एम.ए.(हिंदी), पी-एच. डी. (बाल साहित्य)
बाल साहित्य की 250 से भी अधिक पुस्तकों के लेखक, 'पराग' के पूर्व  संपादक डा. देवसरे ने बाल साहित्य और उसकी समीक्षा को समृद्ध और संपन्न बनाने की दिशा में प्रणम्य कार्य किया है। 
1968 में डा. देवसरे को 'हिंदी बाल साहित्य एक अध्ययन' विषय पर जबलपुर विश्वविद्यालय ने पी-एच.डी. की उपाधि प्रदान की। 1969 में इस शोध प्रबंध को आत्मा राम एंड संस, नयी दिल्ली ने प्रकाशित किया। 
डा. देवसरे के अन्य समीक्षा ग्रंथ हैं - बाल साहित्य रचना और समीक्षा (संपादित), बाल साहित्य मेरा चिंतन और बाल साहित्य के सरोकार।
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ से बाल साहित्य भारती तथा आचार्य  कृष्ण विनायक फड़के बाल साहित्य समीक्षा सम्मान सहित अनेक सम्मानों को गौरव प्रदान करने वाले डा. देवसरे आज भी अत्यंत मनोयोग एवं समर्पित  भाव से बाल साहित्य  को समृद्ध करने की दिशा में क्रियाशील हैं। 
उनके आजीवन योगदान के लिए हिंदी में साहित्य अकादेमी का बाल साहित्य पुरस्कार 2011   आज उनके आवास (ब्रजविहार, गाजियाबाद) पर साहित्य अकादेमी के उपसचिव श्री ब्रजेन्‍द्र त्रिपाठी के हाथों प्रदान किया गया .
 'बाल मंदिर' परिवार की और से हार्दिक बधाई.

2 टिप्‍पणियां:

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