बाल कविता : डा. बलजीत सिंह
चूहे देने गए परीक्षा,
बिल्ली बनी निरीक्षक.
चूहे थर-थर काँप रहे थे,
देख सामने भक्षक.
चूहों का दल मुख्य परीक्षक
से मिलने को आया.
डरते-डरते उनको अपना
सारा दर्द सुनाया.
वे बोले- तुम डरो न बिल्कुल,
है पूरी तैयारी.
कुत्ते हैं तैनात, कहो क्या
कर लेगी बेचारी ?
डा. बलजीतसिंह
जन्म : 10 जून 1935, ग्राम चाँदनेर (ग़ाजियाबाद)
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (अँग्रेज़ी)
कार्यक्षेत्र : पूर्व अध्यक्ष अँग्रेज़ी विभाग, वर्धमान कालेज, बिजनौर (उ.प्र.)
बाल कविता संग्रह ; हम बगिया के फूल, गाओ गीत सुनाओ गीत, छुट्टी के दिन बड़े सुहाने,दिन बचपन के (बालगीत-संग्रह)
पता :शांतिकुंज, 483, नई बस्ती, बी-14, बिजनौर- 246701
दूरभाष :01342-262419, 9897714214
bahut sundar kavita hai...bahut bahut badhai...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता ...
जवाब देंहटाएंवाह मजा आ गया पढकर
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत मज़ेदार!! बेचारी बिल्ली!!!!
जवाब देंहटाएंबालक मन के पारखी ,लेखक हैं बलजीत !
जवाब देंहटाएंअपने लेखन से सदा ,लेते हैं मन जीत!!
डा०अजय जनमेजय