बाल कविता - प्रत्यूष गुलेरी
नन्हा मुन्ना छैल छबीला
ड्रेस पहन कर नीला पीला
एक हाथ में पकड़ कर फूल
चला मैं पढ़ने आज स्कूल
अपने घर् का राजदुलारा
मां की आंखों का हूँ तारा
संगी साथी मुझे बुलाएँ
मिलकर हम बैलून फुलाएँ
डोर बांध के खूब उड़ाएँ
हो! हो!हा !हा!दौड़ लगाएँ
बडे जोर से शोर मचाएँ
भागेँ देखो दाएं बाएँ
घँटी बजी प्रेयर करेंगे
हम बच्चे न कभी लड़ेंगे
जितना होगा खूब पढ़ेगे
खूब पढ़ेगे खूब बढ़ेगे.
खूब पढ़ेगे खूब बढ़ेगे.
सुन्दर बालकविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (09-12-2013) को "हार और जीत के माइने" (चर्चा मंच : अंक-1456) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'