बाल कविता : आकांक्षा यादव
पापा मेरे लैपटाप लाए
लैपटाप जी दिल को भाए
खेल खिलाए , ज्ञान बढ़ाए
लैपटाप जी दिल को भाए
खेल खिलाए , ज्ञान बढ़ाए
नई-नई ये बात बताए
‘की बोर्ड‘ से हो गई यारी
‘माउस‘ की अब करुं सवारी
‘मानीटर‘ पर सब है दिखता
‘मानीटर‘ पर सब है दिखता
कितना प्यारा है यह रिश्ता।
‘सी0पी0यू0‘ है इसका ब्रेन
टी0वी0 इसके आगे फेल
गाने सुनो,जी मूवी देखो
सी0डी0 लगाकर खेलो खेल।
टी0वी0 इसके आगे फेल
गाने सुनो,जी मूवी देखो
सी0डी0 लगाकर खेलो खेल।
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आकांक्षा यादव
जन्म -30 जुलाई 1982, सैदपुर, गाजीपुर (उ0 प्र0)
शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत) ,सम्प्रति- कॉलेज में प्रवक्ता।
लेखन-विधा- कविता, लेख, बाल कविताएं व लघु कथा।
प्रकाशन-देश-विदेश की शताधिक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, स्तरीय संकलनों व इण्टरनेट पर रचनाओं का अनवरत प्रकाशन।
http://balduniya.blogspot.com (बाल-दुनिया)
सम्पर्क- द्वारा - श्री कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवा, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, पोर्टब्लेयर-744101
ई-मेलः kk_akanksha@yahoo.com
चित्र में पाखी
बलकुल सही बात है :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल कविता. अक्षिता का चित्र तो इसे और भी प्यारा बना रहा है...बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंआज सुबह ही आकांक्षा जी का लेख जनसत्ता में पढ़ा, फिर यह उम्दा कविता भी..डबल बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंपाखी के नन्हें हाथों में लैपटॉप और पाखी की मम्मी जी की यह सुन्दर कविता. मन को भा गया यह लैपटाप.
जवाब देंहटाएं@ नागेश जी,
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को स्थान देने के लिए आभार. पाखी बिटिया की तस्वीर से पोस्ट और भी सुन्दर हो गई है.
बहुत सुन्दर बाल गीत..
जवाब देंहटाएंआदरणीया आकांक्षा जी , आपकी रचना समसामयिक और बहुत सुंदर है ।आभार तो मुझे आपको देना चाहिए । आपकी रचना को FACEBOOK और TWITTER पर भी प्रकाशित किया है ।
जवाब देंहटाएंअले मेरा लैपटाप यहाँ कैसे आ गया. लगता है नागेश अंकल जी लाये हैं. यहाँ तो बहुत अच्छा लग रहा है. ममा की सुन्दर सी कविता भी..ढेर सारा प्यार .
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