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शनिवार, 18 जून 2011

खुली लाटरी गधेराम की -रमेश चन्द्र पंत


बाल कविता :रमेश चन्द्र पंत 
खुली लाटरी 
गधेराम की , 
वह भी एक करोड़ .
भूल गए हैं
 गुणा-भाग सब 
और घटना-जोड़ .
फूट  रहे 
मन ही मन लड्डू
 जाएँगे अब फ़्रांस . 
नए ज़माने
 के सीखेंगे 
फिर पेरिस में डांस .
ढेंचू-ढेंचू 
भूल नए अब 
पढने होंगे पाठ . 
मुक्ति मिलेगी 
बोझे से भी 
गजब के होंगे ठाठ . 
नए-नए 
माडल की होगी 
महँगी  कारें पास .
और नहीं 
अब खानी होगी 
उन्हें कभी भी घास . 
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जन्म : १० अगस्त , बलरामपुर (उ.प्र.)
शिक्षा : एम्.ए. (हिंदी अंग्रेजी );बी.एस-सी .; बी. एड.
प्रकाशित पुस्तकें : 101 बाल कविताएँ ,बाल मन की प्रतिनिधि कहानियाँ 
राजकीय पालीटेक्निक द्वाराहाट में सेवारत .
संपर्क : विद्यापुर , द्वाराहाट , अल्मोड़ा

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