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सोमवार, 11 अप्रैल 2011

बोलो जी बोलो ?






बाल गीत : राम वचन सिंह 'आनंद' 
चित्र में सुबोध 
सींके से बर्फी चुरायी किसने , 
बोलो जी बोलो ? 

चींटों ने चढ़कर तो
खायी न होगी ! 
चूहों की जीभ पहुँच 
पाई न होगी . 
पाँच किलो बर्फी दबाई किसने ?
बोलो जी बोलो ?
रेनू है सोयी अभी 
राजू भी सोया . 
बुल्लू है , बबलू है
नींद में खोया .
चादर में  हँसी बिखराई किसने ?
बोलो जी बोलो ?
राम वचन सिंह 'आनंद' 
जन्म : 15 दिसंबर , 1932 ; आरा  (बिहार)
बच्चों के प्रसिद्द साहित्यकार 
 कहानी और कविताओं की कई पुस्तकें प्रकाशित हुयीं .
निधन : चक्रधरपुर में .  

3 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ! बहुत ही प्यारी कविता .

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  2. priya nagesh, ram vachan singh aanand ki yeh kavita badi nayab hai. mein pahli bar yahan padh raha hoon aur abhibhoot hoon. thodi kam parichit kavitaon se bhi nayab kavita dhoondhi ja sakti hai, jaise yeh kavita. yon to mein janta hoon, aanand hamesha koshish karte the ki apni kavita mein koi nayapan layen.mujhe yad hai, nandan mein hum logon ne unki kai kavitaen chhapi thin. unmein kamjor kavita koi n thi. mujhe ab bhi unki teliphone kavita yad aa rahi hai, jismein bade nayepan ke sath kuchh achhoote bimb aaye the. albatta, phi se badhai. sasneh, p manu

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  3. आदरणीय भाई साहब,
    प्रणाम .
    आनंद जी की यह कविता बहुत पुरानी है . जब उन्होंने बताया था कि यह कई पत्रिकाओं से वापस आई है तो मैं चकित रह गया . मैंने इसे १९९५ में स्वसम्पादित बाल साहित्य शोध ,सृजन , आलोचना विशेषांक में छापा था . तब बाल साहित्य समीक्षा में एक लेख लिखकर भी उन्होंने इस बात की चर्चा की थी .

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