बाल गीत : अरविंद राज कहाँ छोड़कर चली गयी , मुझे रजाई ? पता नहीं . इतनी जल्दी मुर्गे ने क्यों बांग लगायी , पता नहीं ! क्या है यह गड़बड़ घोटाला ? कहाँ गया सब कोहरा - पाला ! किसने डाल दिया है भैया हवा सुहानी के घर ताला ? कैसे घट गयी रातों की इतनी लंबाई ,पता नहीं . चलो कहीं ठंडे में भाई , सूरज ने तो आग लगाई . बूंद पसीने की भैया तो , चल माथे से नाक पे आई . देह निगोड़ी , भरी दुपहरी क्यूँ अलसाई , पता नहीं अरविंद राज जन्म : 5 मार्च1972 , बदायूं शिक्षा ; एम्. एस-सी . प्रतिष्ठित बाल पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित . वृहद ग्रंथ बचपन एक समंदर में रचनाएँ संकलित . बच्चों के लिए आकर्षक पुस्तकें तैयार करने में सिद्ध हस्त . संपर्क : कमल-कुंज, अनामिका डिज़ायनर्स एंड प्रिंटर्स, हुसैनपुरा, बड़ी बिसरात रोड, शाहजहाँपुर (उ.प्र.) |
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मंगलवार, 12 अप्रैल 2011
पता नहीं
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वाह ! बहुत ही प्यारी कविता . आपको बधाई .
जवाब देंहटाएंसुंदर ...प्यारी कविता
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