डा. सुधीर पांडेय
कितने तारे आसमान में ,
एक अकेला चंदा .
मुन्ना बैठा सोच रहा ये
कैसा गोरखधंधा ?
एक चाँद से हो जाती है
सारी रात उजाली .
सब तारे मिल भगा न पाते
रात अमावस काली .
सूरज दादा दिन भर तपते
शाम कहाँ को जाते ?
काले - भूरे बादल उड़-उड़
जाने कहाँ से आते .
बिजली क्यूँ चमका करती है ,
बादल क्यूँ गुर्राते .
जब भी बादल बरसा करते
मेढक क्यूँ टर्राते ?
पानी धरती को छूते ही
हो जाता क्यूँ गंदा .
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