बाल रचना
सृष्टि पांडेय
जाड़ा आया , जाड़ा आया
जाड़े में निकली रजाई
ओढ़े बैठे चीकू भाई
जब भी पापा छेना लाते
जल्दी से जुट जाते हो
छेना ख़त्म हुआ नहीं की
रजाई में घुस जाते हो
टीचर जब चिल्लाती हैं
भाग निकलते हो शु शु ,
टीचर ने जब थप्पड़ मारा
करने लगते हो ऊँ ऊँ .
कविता बहुत प्यारी है
जवाब देंहटाएंइस सुंदर रचना के लिए
जवाब देंहटाएंसृष्टि बिटिया को बहुत-बहुत बधाई!
आशीर्वाद!