खेल - खाल कर धूल .
बस्ता लेकर गधेराम जी ,
जा पहुँचे स्कूल .
जोड़ -घटाना , गुणा - भाग से ,
उनका सर चकराया .
पढ़ा - पढ़ा कर हारे टीचर ,
उन्हें न पढना आया .
पढना- लिखना उन्हें न भाया ,
बोले -" पढ़ना बंद .
धोबी जी के घर रहने में
है सच्चा आनंद ."
मोटू जी
मोटू जी की चाल
निराली
धम्मक धम्मक हाथी
वाली
किस चक्की का आटा
खाते
कैसे मोटे होते जाते ?
आटा वही मैं खाऊँगा
मैं भी मोटा हो
जाऊँगा।
बन्दर मामा पहन
पाजामा
बडी जोर से दौड़े।
टांग फंस गयी पाजामे
मे
हाथ पैर सब तोड़े।
कोयल बहना मानो कहना
प्यारा प्यारा गीत सुनाओ।
अब तो मौसम चला गया
है
यह कह कर मत हमें
रुलाओ।
मो.- बजरिया ,
खुटार ,शाहजहांपुर .
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